राम राम गुरु जी,🙏🏻आज तो साढ़े चार ,पांच बजे सुबह से जैसे मैं केदारनाथ हीपहुंच गई,जब मंत्र जाप शुरू किया , पुजा कमरे की सुगंध से अलग अलौकिक सुगंध पलभर के लिए आई।फिर मंत्र जप के बीच मुझे नंदी जी दिखे, मुझे देख रहे थे, याद आया कि मैं प्रणाम नहीं किया था, माफी मांगी प्रणाम किया।अब तो जैसे भगवान जी अपनी जटा को एक हाथ लम्बा नुकीला सा बना लेते थे, और अलग रूप मे दिखे बहुत सुन्दर ,फिर नुकिले जटा मे दिखते थे।फिर मुझे लगा कि ब्रम्हाण्ड मे सुनहरी तेज रौशनी, समुद्र का अथाह जल,ठन्डक लिए जंगल, रिषी मुनि, अलौकिक था।मेरा मंत्र जप, फूल का चढाते जाना चलते रहा, फिर वही पहले वाली खुशबू, पांच मिनट पहले ही मेरा ध्यान हट गया।धन्यवाद गुरु जी, सादर चरण स्पर्श।🌹🕉🙏🏻