चारों ओर खुशबू फेल गई….. किरण का अनुभव

साधन भली भाँति आरंभ हुई नंदी जी को परणाम किया उसी समय मेरे सिर पर दो हाथ अनुभव हुआ चारो तरफ खुशबु फैल गयी उन्हों ने मुझे उठाया तभी एक सुरंग दिखाई दी घोर अंधेरा था मैं काफी दूर तक अंधेरे मे चलती रही सामने एक नदी बहुत वेग से बह रही थी जिसका जल बिलकुल नीला था मैं एकटक देख रही थी तभी वहा एक दिव्य पुरूष दिखाई दिये उनके मुकुट से बहुत तेज प्रकाश निकल रहा था मैने सर झुकाया प्रकाश इतना तेज था कि आखो पर पडते ही एकदम चकाचौंध हो गई और मेरी आँख खुल गयी
सादर नमन

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